एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल जीवाणु ( बैक्टीरिया ) और इससे होने वाले संक्रमण को खत्म करता है ! शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में भी ऐसी कई औषधियां हैं जो संक्रमण रोधी औषधियों का कुदरती और प्राकृतिक तौर बेहतर विकल्प है ! आधुनिक चिकित्सा में भी प्लास्टिक सर्जरी व राइनोप्लासटी आदि में बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण को रोकने के लिए शहद ,घी ,हल्दी और तिल जैसी प्राकृतिक औषधियों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है ! कुछ साल पहले मेरठ में आयुर्वेद चिकित्सकों ने सर्जरी के दौरान एंटीबायोटिक्स की जगह पर आयुर्वेद औषधि सहजना ,गिलोय ,आंवला ,हल्दी के अर्क आदि का इस्तेमाल किया था ! इस दौरान यह पाया गया कि अन्य औषधियों के मुकाबले शहद से घाव बहुत ही जल्दी कम समय में ही भर गये थे ! आयुर्वेद में ऐसी कई औषधियां हैं जो बैक्टीरिया ,फंगस और वायरस के संक्रमण से बचाती हैं ! पेट में कीड़ों को मारने के लिए - हल्दी ,पिप्पली ,विडंग ,हरड का क्वाथ या शहद के साथ लें ! लीवर व प्लीहा के लिए - कुटकी चिरायता ,सुदर्शन ,भृंग राज ,ग्वारपाठा ,जौ,हल्दी ,पिप्पली इंद्र ,दालचीनी ,कालीमिर्च ,इलायची ,हरड के क्वाथ या चूर्ण शहद के साथ लें ! मलेरिया व बुखार में - अदरक ,इंद्र ,तुलसी ,पिप्पली ,त्रिफला ,कालीमिर्च ,सुदर्शन हरड का क्वाथ या चूर्ण शहद के साथ उपयोगी है ! ऐसे करें प्राकृतिक औषधियों का प्रयोग - औषधियों को शहद के साथ लेने से उनके गुणों और असर में वृद्धि होती है ! उपरोक्त बताई गई औषधियों से तैयार काढ़ा 25-50 एम एल की मात्रा में लें ! हींग या लहसुन को दवा में मिलाने से पहले थोड़े से गाय के घी में भूनकर फिर अन्य दवाओं को इसमें मिलाएं ! ताजाऔषधियां उपलब्ध हों तो इनका रस काम लें ! सूखी औषधियों का चूर्ण या काढ़ा बनाकर काम में लें ! औषधियों का चूर्ण 3-6 ग्राम की मात्रा में लें !
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