शक्तिपीठों के सम्बन्ध में पौराणिक कथा है कि- जब राजा दक्ष प्रजापति ने ' बृहस्पती -सब ' नामक यज्ञ करवाया तो उसमें भगवान शिव के अलावा सभी देवी -देवताओं को आमंत्रित किया ! ऐसा करने पर अपने आपको अपमानित महसूस करते हुए माता सती अपने पिता के यज्ञ में पहुंच गई ! और वहाँ पर अपने पति भगवान शिव का अनादर - अपमान सह न पाने के कारण यज्ञ कुण्ड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए ! इसके बाद शिव गणों ने पुरे यज्ञ को तहस-नहस कर दिया ! और भगवान शिव माता सती की मृत देह अपने कंधे पर लेकर पूरी त्रिलोकी में विचरने लगे ! पूरी त्रिलोकी में आहाकार मचने लगा ! सभी देवी -देवता भगे -भगे भगवान विष्णु के पास गये !और बोले कि- हे भगवन ! जब तक माता सती की मृत देह भगवान शिव के कंधे पर रहेगी जब तक शिव माता सती को भूलेंगे नहीं ! और जिस दिन शिव ने गुस्से से अपना तीसरा नेत्र खोल दिया तो इस त्रिलोकी का सर्वनाश निश्चित है ! आप कुछ कीजिये भगवान कुछ कीजिये ! भगवान शिव की इस स्थिति को देखकर भगवान विष्णु ने माता सती के मृत देह के अपने सुदर्शन चक्र से कई टुकड़े कर दिए ! माता सती के मृत शव के अंग -आभूषण आदि जिन -जिन स्थानों पर गिरे , वे सभी स्थान "शक्ति पीठ " कहलाये ! ये 51 महा शक्ति पीठ हैं ! इन शक्ति पीठों के तांत्रिक महत्व एवम रहस्य के सम्बन्ध में बताया जाता है कि - जहाँ जहाँ ये अंगादि पतित हुए , वे सभी स्थल विशिष्ट सिद्धि स्थल हो गये ! हृदय से उर्ध्व भाग के अंग जहाँ गिरे ,वहां वैदिक और दक्षिण मार्ग की सिद्धि होती है और जहाँ हृदय से निम्न भाग के अंग गिरे वहां वाम मार्ग की सिद्धि होती है ! 51महा शक्ति पीठों पर प्राप्त होने वाली विशेष सिद्धियाँ इस प्रकार हैं ! 1- माता सती की योनि का जहाँ पात हुआ वहाँ "कामरूप" नामक महा शक्ति पीठ हुआ ! वह "अ "कार का उत्पति स्थल है एवम श्रीविधा से अधिष्टित है ! यहाँ कौलशास्त्र से अणमादि सिद्धियाँ होती हैं ! लोम से उत्पन्न इसके वंश नामक दो उपपीठ हैं ,जहाँ शाबरमन्त्रों की सिद्धि होती हैं ! 2 - स्तनों के पतन स्थल पर "काशिका पीठ "हुआ ! वहाँ "आ" कार उत्पन्न हुआ ! यहाँ देह त्याग करने से मुक्ति मिलती है ! सती के स्थनों से दो धाराएँ हैं ! "असि" और "वरना "नदी हुई !असि के किनारे दक्षिण सारनाथ एवम वरना के उत्तर में उत्तर सारनाथ उपपीठ हैं ! वहाँ क्रमश -दक्षिण एवम उत्तर मार्ग के मन्त्रों की सिद्धियाँ होती हैं ! 3- गुह्यभाग जहाँ पतित हुआ ,वहाँ नेपाल पीठ हुआ ! वहाँ से "इ"कार की उत्पत्ति हुई ! यह पीठ वाममार्ग का मूलस्थल है ! वहां 56 लाख भैरव -भैरवी , 2000शक्तियाँ , 300 पीठ एवम 14 शमशान सन्निहित हैं ! यहाँ चार पीठ दक्षिण मार्ग के सिद्धि दायक हैं ! उनमें वैदिक मंत्र सिद्ध होते हैं ! नेपाल से पूर्व में मल का पतन हुआ था ! अत :वहाँ किरातों का निवास है ! ३०००० देवयोनियों का वहाँ निवास है ! 4- वामनेत्र का पतन स्थल रौद्र पर्वत है ! वह " महत्व " हुआ ! यहाँ "ई" कर की उत्पति हुई ! वामाचार से यहाँ मन्त्र सिद्धि होकर देवता का दर्शन होता है ! 5- वाम कर्ण से पतन स्थल पर काश्मीर पीठ हुआ ! यहाँ "उ "कार का उत्पत्ति स्थान है ! यहाँ सभी प्रकार मन्त्रों की सिद्धि होती है ! यहाँ अनेक प्रकार के तीर्थ हैं ! 6- दक्षिण कर्ण के पतन स्थल पर कान्यकुब्ज पीठ हुआ ! यहाँ "ऊ" कार की उत्पति हुई ! यहाँ वैदिक मन्त्रों की सिद्धि होती है ! 7- नासिका के पतन स्थल पर पूर्ण गिरिपीठ है ! यह "ऋ " कार की उत्पत्ति स्थल है ! यहाँ योग सिद्धि होती है तथा मन्त्राधिष्ठतृदेव प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं ! 8- वाम गंडस्थल की पतन स्थली पर अर्बुदाचलपीठ हुआ और "ऋ " कार का प्रादुर्भाव हुआ ! यहाँ अम्बिका नाम की शक्ति है और वाममार्ग की सिद्धि होती है ! 9-दक्षिण गंडस्थल के पतन स्थल पर आमरातकेश्वर पीठ हुआ !यहाँ "लरू"कार की उत्पत्ति हुई !यह धनदादि यक्षिणियों कावास स्थल है ! 10- नखों के पतन स्थल पर एकाम्रपीठ हुआ ! यहाँ "लरु"कार की उत्पत्ति हुई !यह पीठ विधा प्रदायक है ! 11- त्रिबलि के पतन स्थल पर त्रि स्त्रोत पीठ हुआ ! यहाँ " ए" कार का जन्म हुआ ! वस्त्रों के तीन खण्ड यहाँ गिरने के यहाँ तीन उपपीठ हुए ! यहाँ गृहस्थ लोगों को पौष्टिक मन्त्रों की सिद्धि होती है ! 12- नाभि की पतन स्थली - कामकोटी पीठ कहलाई! यहाँ "ऐ " कार का प्रादुर्भाव हुआ ! यहाँ समस्त काममन्त्रों की सिद्धि है ! यहाँ अनेक उपपीठ हैं ! जहाँ अप्सरायें निवास करती हैं ! 13- अँगुलियों का पतन स्थल हिमालय पर्वत में कैलास पीठ नामक स्थान पर हुआ ! यहाँ "ओ "कार का प्राकट्य हुआ ! यहाँ अंगुलियाँ लिंग रूप में प्रतिष्टित हुई ! कैलास पीठ पर करमाला से मन्त्र जप करने से तत्क्ष्ण सिद्धि होती हैं ! 14- दांतों का पतन स्थल भृगु पीठ कहलाया ! यहाँ से "औ "कार का प्रादुर्भाव हुआ ! वेदीकादि मन्त्र यहाँ सिद्ध होते हैं ! 15- दक्षिण करतल के पतन स्थल पर केदार पीठ हुआ ! यहाँ "अं" की उत्पत्ति हुई ! इसके दक्षिण में कंकण के पतन स्थल में अग्स्त्याश्रम नामक सिद्ध उपपीठ और पश्चिम में मुद्रिका के पतन स्थल में इन्द्राक्षी नामक उपपीठ हुआ ! 16- वामगंड की निपातभूमि पर चन्द्रपुर पीठ हुआ ! यहाँ "अ :" की उत्पत्ति हुई ! यहाँ सभी मन्त्रों की सिद्धि होती है ! 17-जिस स्थान पर मस्तक का पतन हुआ ,वहाँ श्री पीठ की उत्पत्ति हुई ! यहाँ "क " कार का प्रादुर्भाव हुआ ! यहाँ ब्रह्म विधा प्रकाशिका ब्राह्मी शक्ति का निवास है ! इसके अग्नि कोण में कर्नाद्धारभरण के पतन होने के कारण दूसरा उपपीठ हुआ ! जहाँ मुखशुद्धिकरी माहेश्वरी शक्ति है ! इसके अलावा यहाँ पांच अन्य शक्ति उपपीठ भी हैं ! जहाँ माता सती अन्य अंग गिरे थे ! 18-कंचुकी की पतन भूमि में एक शक्ति पीठ हुआ ! जो ज्योतिर्मंत्र -प्रकाशक और ज्योतिष्मती द्वारा अधिष्टित है ! यहाँ "ख "कार का प्रादुर्भाव हुआ !यह पीठ नर्मदा नदी द्वारा अधिष्टित है ! और यहाँ पर तप करने वाले तपस्वी जीवन्मुक्त हो जाते हैं ! 19-वक्ष स्थल के पतन स्थल ज्वालामुखी उपपीठ हुआ ! यहाँ "ग" कार का प्रादुर्भाव हुआ ! 20-वाम स्कन्ध के पतन स्थल में मालव पीठ हुआ ! यहाँ " घ " कार की उत्पत्ति हुई !गन्धर्वों ने राग ज्ञान के लिए तपस्या कर यहाँ सिद्धि प्राप्त की ! 21- दक्षिण कक्ष का जहाँ पतन हुआ ! वहां कुलान्तक पीठ हुआ ! यहाँ "ड" कार की उत्पत्ति हुई ! यहाँ विद्वेष्ण,उच्चाटन एवम मारक प्रयोग सिद्ध किये जाते हैं ! क्रमश ........
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