आर्थर शापेनहार जर्मन दार्शनिक थे ! उन्हें निराशावाद का दार्शनिक भी कहा जाता है ! वे पहले जर्मन दार्शनिक थे ,जिन्होंने पूर्व के दर्शन पर लिखा ! 1- महान लोग बाज की तरह बहुत ऊँची जगह पर एकांत में अपना घोंसला बनाते हैं ! 2- हमारे सारे डर इस बात पर निर्भर करते हैं कि दूसरों से हमारे संबंध कैसे हैं ! 3- इन्सान की ख़ुशी के दो दुश्मन हैं - एक दर्द और दूसरा बोरियत ! 4- इन्सान के दिमाग की महानता उपलब्धियों को आम तौर पर संदेह के साथ ही स्वीकार किया जाता है ! 5- हर सच तीन स्तरों से गुजरता है ! एक- इसका उपहास उड़ाया जाता है ! दूसरा - इसका हिंसक विरोध होता है ! और तीसरा - तीसरे स्तर पर इसे स्पष्ट रूप से स्वीकार कर लिया जाता है ! 6- इच्छा शक्ति ऐसी हो जैसे एक दृष्टीहीन व्यक्ति अपने कंधों पर किसी अच्छी दृष्टी वाले व्यक्ति को बिठाकर ले जा सकता हो ! 7-इन्सान के शब्द अन्य सभी चीजों से अधिक टिकाऊ और स्थाई होते हैं ! 8-समझदार व्यक्ति हमेशा एक ही बात कहते हैं और मूर्ख जो बहुसंख्यक हैं हमेशा उल्टा काम करते हैं ! 9- प्रतिभा के बल पर उस लक्ष्य को भेदा जा सकता है , जिस पर कोई और निशाना नहीं लगा सकता ! लेकिन विलक्षणता से वो लक्ष्य पाया जा सकता है -जो कोई और देख भी नहीं सकता ! 10- संपति समुद्र के पानी की तरह होती है ! जितना आप इसे पीते हैं ,प्यास उतनी ही अधिक बढती जाती है ! यही बात सच पर भी लागू होती है ! 11- अधिकतर व्यक्ति अपने विचारों की सीमा को ही दुनिया की सीमा भी समझता है ! 12-इस बात में कोई शक नहीं है कि- जीवन हमें आनंदित रहने के लिए नहीं बल्कि मुसीबतों से उबरने के लिए मिला है ! 13- महान लोगों की नियति अकेले जीवन गुजरना ही होता है !
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