Wednesday, May 31, 2017
Monday, May 8, 2017
उल्लू और हंस
गर्मियों के दिन थे ! एक पेड पर एक उल्लू बैठा हुआ था ! तभी अचानक उडता हुआ एक हंस आया और उसी पेड पर बैठ गया ! हंस बोला - ''अरे राम रे, कितनी गर्मी पड़ रही है ! आज तो सूरज देवता बहुत जोर-जोर से तप रहे हैं ! '' हंस की बात सुन कर उल्लू बोला - ''जैसे -जैसे अँधेरा होता जाता है , गर्मी बढती जाती है ! लेकिन ये सूरज देवता कौन है ? और कहाँ रहता है ? '' हंस उल्लू को समझाते हुए बोला - '' सूरज देवता आकाश में चमकता है ! जब इसके प्रकाश की किरणें धरती पर पडती है तो गर्मी देने लगती है ! सूरज का प्रकाश ही गर्मी देता है !'' उल्लू हंसने लगा और बोला - '' अरे , अब ये प्रकाश नाम की कौन सी चीज आ गई ? चन्द्रमा जी की बात तो समझ में आती है ! अब ये सूरज और प्रकाश क्या बला है ? हंस भाई मुझे तो लगता है तू सठिया गया है ! हंस ने उस उल्लू को समझाने की बहुत कोशिश की , लेकिन उल्लू जरा भी समझने को तैयार नहीं हुआ ! उल्टा हंस से कहा की चल तू मेरे जैसे बहुत से और भी बुद्धिमान मेरे भाई हैं उनके पास चलकर इसका फैसला करते हैं ! उल्लू हंस को जंगल में वहाँ ले गया जहाँ एक बरगद के पेड पर बहुत से उल्लू रहते थे ! उल्लू अपने जात-बिरादरी के भाइयों के पास हंस को ले जाकर बोला - '' ये हंस भाई कहता है की - आकाश में सूरज चमकता है , उसके प्रकाश के फैलने से गर्मी पडती है ! '' ये बात सुनकर सभी उल्लू जोर -जोर से हंसने लगे और एक स्वर में बोले - ''लगता है ये हंस तो पागल हो गया है , -अरे भाई न तो कोई सूरज होता है और न ही कोई उजास ! सारे उल्लू एक साथ हंस को मारने के लिए झपट्टे ! हंस अपनी जान बचाकर वहाँ से तेजी से उड़ चला ! जहाँ सारे उल्लू ही उल्लू हो वहाँ किसी बुद्धिमान को अपनी सही बात भी मनवाने की जिद नहीं करनी चाहिए !
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