Saturday, April 1, 2017

विवेक और बुद्धि से सोचो और कर्म करो

एक पुरानी बात है !  एक बार महात्मा बुद्ध एक गाँव में अपने एक भक्त के घर गये ! वह भक्त एक किसान था ! महात्मा बुद्ध को देखकर वह किसान बहुत प्रसन्न हुआ और उनके प्रवचन का आयोजन करने इच्छा जाहिर की ! महात्मा बुद्ध ने भी ख़ुशी- ख़ुशी  प्रवचन करने की स्वीकृति दे दी ! शाम को महात्मा जी के प्रवचन सुनने गाँव के सभी लोग उस किसान के घर आये ! महात्मा बुद्ध का प्रवचन हो रहा था पर वहां वह किसान कहीं पर नजर नहीं आ रहा था ! गाँव के लोगों में कानाफूसी होने लगी कि कैसा भक्त है ! महात्मा जी के  प्रवचन  का आयोजन करके स्वयं नदारद हो गया ? प्रवचन खत्म होने पर सभी लोग अपने अपने घर चले गये ! आधी रात को किसान  जब अपने घर लौटा  तो महात्मा बुद्ध ने पूछा कि - " भक्त तुम  कहाँ चले गये थे ? गाँव के सभी लोग तुम्हारे लिए पूछ रहे थे !"                                                                                                                                                 किसान ने कहा , " महात्मा जी दरअसल  प्रवचन की सारी व्यवस्था हो गई थी , पर तभी अचानक मेरा बैल बीमार हो गया ! जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब होने लगी , तो तुरंत मुझे उसे लेकर पशु चिकित्सक के पास जाना पड़ गया ! अगर मैं उसे चिकित्सक के पास नहीं ले जाता तो उसका बचना मुश्किल था ! आपका प्रवचन तो मैं बाद में भी सुन लूँगा !" दुसरे दिन सुबह कई लोग महात्मा जी के पास आये और उस  किसान की शिकायत करते  हुए कहने लगे कि ,        " महात्मा जी यह व्यक्ति तो आपका भक्त होने का झुन्ठा दिखावा करता है ! प्रवचन का आयोजन करके स्वयं ही गायब हो जाता है !"                                                                                                                   महात्मा बुद्ध ने उन लोगों को सारी घटना कह सुनाई और फिर  उनको समझाया कि , "मेरे भक्त ने प्रवचन सुनने की जगह कर्म को महत्व दिया है ! उसने यह सिद्ध कर दिया है कि उसने मेरी शिक्षा को बिल्कुल ठीक ढंग  से समझ लिया है ! अब  उसे मेरे प्रवचन सुनने की आवश्यकता नहीं रह गई है ! मैं आप लोगों को यही तो समझता हूँ कि अपने विवेक और बुद्धि से सोचो और अपना कर्म करो कि कौन सा काम पहले जरूरी है ! अगर मेरा यह भक्त अपने बीमार बैल को छोडकर मेरा प्रवचन सुनने लग जाता तो हो सकता है इसका बैल मर जाता ! अगर इसका बैल मर जाता तो मेरा प्रवचन देना ही व्यर्थ हो जाता ! मेरे प्रवचनों का सार यही तो है कि सब कुछ त्यागकर भी  जीव मात्र की रक्षा करो ! महात्मा बुद्ध के प्रवचन सुनकर सभी गाँव  वालों ने भी प्रवचनों का असली भाव समझ लिया !

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