भाग्य को बदल देता है कर्म
भाग्य - भाग्य क्या है ? क्या अपने भाग्य को बदल लेना सम्भव है ? प्रकृति के अनुरूप चलकर अपने भाग्य और जीवन को बदला या संवारा जा सकता है ! अपने भाग्य को बदलना पूरी तरह व्यक्ति के वश में है और स्म्भव है ! मनुष्य जीवन केवल भोग्योनि ही नहीं ,कर्म योनि भी है ! व्यक्ति मैं अपने नये कर्म द्वारा अपने भाग्य को बदल देने का असीम सामर्थ्य और शक्ति है ! पर विडम्बना है कि अधिकतर लोग अपने इस सामर्थ्य -शक्ति का पूरा उपयोग ही नहीं करते ! ऐसे लोग अपने भाग्य का खिलौना बनकर अपने ही नसीब को सदा कोसते रहते हैं ! कर्म तीन प्रकार के - हमारे शास्त्र -ग्रन्थों में बताया गया है कि कर्म तीन प्रकार के होते हैं, 1- क्रियामान , 2 -प्रारब्ध , 3- संचित कर्म ! अधिकतर लोग अपने आप को अपने कर्मों से बने भाग्य की कठपुतली समझते हैं ! जो विधाता ने लिख दिया ,वह उसे भोगने को बाध्य हैं ! यदि ऐसा होता तो हमारे इतिहास में पाणिनी जैसे महाविद्वानों का नाम न आया होता ! पाणिनी के हाथों में विधा की लकीर ही नहीं थी ! जब एक महान ज्योतिषी ने यह बताया तो उन्होंने दृढ़ -संकल्पित होकर अपने भाग्य को पलट दिखाया ! पाणिनी संस्कृत भाषा के प्रसिद्द व्याकरणचार्य हुए ! क्रमशः ............
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