Saturday, April 1, 2017

मन की सुनने और करने से होती है जीवन की समस्यायें हल

* - यदि तुम्हारा हृदय पवित्र है तो तुम्हारा आचरण भी सुंदर होगा ! यदि आचरण सुंदर है तो तुम्हारे घर में शांति रहेगी !यदि घर  में शांति है तो राष्ट्र में सुव्यवस्था रहेगी ! और यदि राष्ट्र में सुव्यवस्था है तो समस्त विश्व में शांति और सुख रहेगा ! -  कन्फ्यूशियस                                                             अक्सर लोग अपनी गलतियाँ छिपाने के लिए तरह-तरह के बनाते रहते हैं ! दरअसल हमें अपनी कमजोरियों की पहचान करनी आनी चाहिए , उनसे बचने के बहाने नहीं !  बिना कोशिश हम गलतियों को कभी भी दूर नहीं कर सकते ! अगर हम अपने हर काम का आंकलन -मुल्यांकन पहले से करें तो यह तय है कि कोई भी  गलत कदम उठेगा ही नहीं !                                                                                                      अक्सर लोग अपनी गलतियों , अपनी  असफलताओं या प्रतिकूल  परिस्थितियों में दूसरों को दोष देकर , भाग्य के माथे सब कुछ मढ़कर बच निकलने का आसन रास्ता खोजने की कोशिश करते हैं ! पर हकीकत इसके विपरीत है की असफलताओं , और गलतियों से मिली  सीख ही व्यक्ति की  सबसे अच्छी  दोस्त होती है ! अगर जीवन में असफलता न हों तो सफलता के अर्थ और महत्व ही खत्म हो जायेंगे !अक्सर यह भी बताया जाता है किअपने मन की बात दोस्तों से , अपने परिजनों से जरुर करें , उन्हें बताएं  तो मन को बहुत शांति मिलेगी ! अपनों से बातचीत करने से कोई न कोई  रास्ता जरुर  निकलता है ! लेकिन अपनी समस्याओं का हल स्वयं को ही खोजना पड़ता है ! अपनी समस्याओं का हल दूसरा और कोई नहीं बताता ! हाँ ! दूसरे लोग सलाह दे सकते हैं , किसी अच्छे रास्ते की और इंगित कर सकते हैं ! मगर चलना स्वयं को ही पड़ता है !                                                                                                                       कई बार गुस्से में हम किसी को ऐसी बात कह  जाते हैं जो नहीं  कहनी चाहिए थी ! बाद में हमें उस बात का पछतावा भी होता है ! कोई अच्छा सम्बन्ध एक क्षण में ही खत्म हो जाता है ! एक अच्छा  सम्बन्ध जिसे बनाने में हमें  पूरा जीवन लग जाता है , वह पल भर में ही खत्म हो जाता है ! अगर गुस्सा करने से पहले थोडा शांति से विचार कर लिया होता तो गुस्सा आता ही नहीं ! दोस्तों ! अगर आप अपने मन की सुनेंगे , खुद से बात करेंगे , तो अपने को भी पहचानेंगे और दूसरों को भी ! हमारा मन ही तो है ,जो हमें दुनिया को पहचानने का परखने का धैर्य देता है ! इसीलिए जरूरी है कि सुनें सबकी और करें अपने मन की !  

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