किसी बड़े शहर में एक अमीरआदमी रहता था ! उसके पास अथाह धन -दौलत थी ,किसी भी चीज की कमी नहीं थी ! लेकिन फिर भी वह हमेशा उदास , चिंतित और बैचेन रहता था ! एक दिन वह अमीर व्यक्ति एक महान ऋषि से मिलने के लिए उनके आश्रम में गया ! वहाँ उसने अपने मन की समस्या उन ऋषि को बताई कि उसके पास भगवान का दिया हुआ सब कुछ है ,धन -दौलत की कोई कमी नहीं है ,लेकिन फिर भी वह खुश नहीं रहता ! ऋषि ने उस अमीर व्यक्ति को अगले दिन फिर आने को कहा! दूसरे दिन जब वह अमीर व्यक्ति उन ऋषि के आश्रम में पहुंचा तो उसने देखा कि ऋषि अपने आश्रम के बाहर बड़े चिंता मग्न होकर कुछ ढूंढ रहे थे ! ऋषि को देखकर उस अमीर व्यक्ति ने पूछा कि हे ऋषिवर ऐसे आप यहाँ क्या ढूंढ रहे हैं ? ऋषि ने कहा कि उनकी एक सोने की अंगूठी खो गई है ,वह उसे ही ढूंढ रहे हैं ! यह सुनकर वह अमीर आदमी भी उन ऋषि के साथ उनकी अंगूठी ढूंढने में लग गया ! काफी देर खोजने के बाद भी जब अंगूठी नहीं मिली तो उस अमीर आदमी ने ऋषि से पूछा कि हे ऋषिवर ! आपकी अंगूठी कहाँ गिरी थी ? ऋषि ने बताया कि उनकी अंगूठी आश्रम की कुटिया में गिरी थी ,लेकिन वहाँ अभी काफी अँधेरा है ,इसलिय वह अंगूठी को आश्रम के बाहर ढूंढ रहे हैं ! उस अमीर व्यक्ति ने काफी हैरान होते हुए कहा कि ऋषिवर कमाल है -कि जब आपकी अंगूठी कुटिया में गिरी थी तो आप उसे यहाँ बाहर क्यों ढूंढ रहे हैं ? इस पर उन ऋषिवर ने जवाब दिया कि मेरी ही नहीं तुम्हारी भी यही समस्या है ,और उस समस्या का एक ही हल है ! तुम जिस ख़ुशी को बाहर ढूंढ रहे हो वह ख़ुशी तुम्हारे अंदर ही है , लेकिन तुम उसे पहचान नहीं पा रहे हो और उसे पैसे और बाहरी वस्तुओं में ढूंढ रहे हो ! उस अमीर व्यक्ति ने ऋषि की बात का मर्म जानकर कहा हे ऋषिवर अब मैं ख़ुशी का रहस्य समझ गया हूँ ,कि ख़ुशी तो अपने भीतर ही छिपी है ! अब तक मैं उसे बाहरी वस्तुओं में ही ढूंढ रहा था ! वह व्यक्ति ऋषिवर को नमन कर ख़ुशी -ख़ुशी अपने घर लौट गया ! मन्त्र :- यह सच है कि पैसे और धन -दौलत - सम्पति का जीवन में अहम स्थान होता है ,लेकिन केवल पैसे से कभी भी आप असली ख़ुशी नहीं पा सकते !
No comments:
Post a Comment