सौ रोगों का एक इलाज यानी-शतावरी
आयुर्वेद से :- शतावरी का शाब्दिक अर्थ देखें तो शत यानी सौ और वरी यानी इलाज होता है !अथार्त यह सौ से भी अधिक रोगों के इलाज में बड़ी कारगर है ! यह बेल के रूप में कांटेदार होती है ! इसकी जड़ें लम्बी होती है ! इन जड़ों को ही शतावरी कहते हैं ! इन्हीं जड़ों को औषधि के रूप में काम में लेते हैं ! शतावरी को एक दिव्य औषधि के रूप में जाना जाता है ! यह औषध पुरुष ,बालक सभी के लिए उपयोगी और ताकत देने वाली ,पौष्टिक ,वय:स्थापक यानी वृद्धावस्था को रोककर यौवन को बनाये रखने वाली अति उत्तम टोनिक है ! शतावरी को राजस्थानी में नाहर कांटा कहते है ! शतावरी के उपयोग :- 1- स्त्री रोगों में शतावरी को अति गुणकारी माना गया है ! 2- यह वात-पित्त का शमन करती है ! 3- चक्कर आना ,कमजोरी में शतावरी -खरेंटी की जड, मुनक्का ,दूध में डालकर छानकर पीने से लाभ होता है ! 4- शरीर के जोड़ों का दर्द ,मांसपेशी का दर्द ,स्नायु में दर्द में शतावरी ,अश्वगंधा ,चोंपचीनी ,सौंठ ,सम्भाग लेकर चूर्ण बनालें ! 1-1चम्मच सुबह शाम जल या दूध से नित्य 3 माह तक सेवन करें ! 5- मूत्र रोग ,मधुमेह ,दुग्धअल्पता , रक्तपित्त ,अम्लपित्त रोग नाशक ,दौर्बल्य नाशक है ! 6- अम्लपित्त रोग में शतावरी ,आंवला ,मिश्री मिलाकर नित्य सेवन करने से यह रोग दूर हो जाता है ! 7- अत्यंत दुर्बलता को दूर करने के लिए शतावरी ,सफेद मुसली ,विदारी कंद समभाग लेकर पाउडर बना लें ! नित्य दूध से सेवन करें ! 8- शतावरी दृष्टिदोष ,रेटिना की गडबड ,बुद्धिमंदता , याददाश्त की कमी ,हृदय के लिए हितकारी रसायन होती है ! नोट :- अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में आफरा आना ,गैस बनने पर सौंठ ,अजवाइन का सेवन करना चाहिए !
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