Monday, April 24, 2017
Sunday, April 23, 2017
जोखिम और विश्वास सफलता के दो पाए हैं
दोस्तों ! सफलता और असफलता की यात्रा निरंतर और अनवरत चलती रहती है ! ये जोखिम ,परिवर्तन और विश्वास की सीढियों से चढती -उतरती और बाधाओं -मुश्किलों के पडाओं से गुजरती रहती है ! कई बार जब कड़ी मेहनत और कठोर संघर्ष करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती तो कुछ निराशा होने लगती है ! ऐसे वक्त व्यक्ति में इन निराशाओं से लड़ने की बड़ी ताकत और सामर्थ्य होना चाहिए ! लेकिन सच बात तो यह है कि इन रुकावटों -मुशिकलों से वे लोग ही लड़ते - जूझते हैं या आगे निकलते हैं जिनमें हिम्मत और जुनून होता है ! कहते हैं जब तक व्यक्ति को सफलता मिलती है तब तक वह अकेला रह जाता है ! क्योंकि काम के जुनून के कारण सफलता मिलने तक दोस्त , रिश्तेदार पीछे छूटने लगते हैं ! जीवन में जो भी काम करें , पूरी लग्न- ईमानदारी , जूनून और पुरे सामर्थ्य से करना चाहिए ! दोस्तों ! व्यक्ति में जुनून और लग्न ढृढ़निश्चय तथा पक्के इरादे से आता है !
Saturday, April 22, 2017
शुभ शगुन से समपन्न होती है मंगलमय यात्रा
दो अश्व ,गज , रोदन सहित मुर्दा एवं ब्राह्मण , दूध , दही, फल , अन्न , कमल , मोर , नेवला , सिंहासन , जलती अग्नि ,धोबी , हरिजन , स्त्री ,पानी का घडा , आदि यदि यात्रा में दिखे तो शुभ शगुन होता है , और यात्रा सफल होती है ! यात्रा में चन्द्रमा का स्थान और उसका फल - * मेष , सिंह , धनु राशि का चन्द्रमा पूर्व दिशा में होता है ! * मिथुन ,तुला ,कुम्भ राशि का चंद्रमा पश्चिम दिशा में होता है ! *कर्क ,वृशिच्क ,मीन राशि का चंद्रमा उत्तर दिशा में होता है ! * वृषभ ,कन्या ,मकर राशि का चंद्रमा दक्षिण दिशा में होता है ! यात्रा के समय यदि चन्द्रमा सामने हो तो ,धन प्राप्ति और शुभ फलदायी होता है ! * यदि चंद्रमा दायें हो तो सुख -संपदा प्रदान करता है ! * यदि चंद्रमा पीछे हो तो कष्ट व बाएं या उत्तर में हो तो धन का नाश करता है ! दिशाशूल पड़ने वाली दिशा में यात्रा न करें ! * पूर्व दिशा में - सोमवार व शनिवार को दिशाशूल रहता है ! * पश्चिम दिशा में - रविवार व शुक्रवार को दिशाशूल रहता है ! * उत्तर दिशा में - मंगलवार व बुधवार को दिशाशूलरहता है ! दक्षिण दिशा में - गुरुवार को दिशाशूल रहता है ! क्रमशः..........
Thursday, April 13, 2017
इन शब्दों में छिपी है सफलता !
1 अधिकार , 2 अनुशासन, 3 अनुसन्धान , 4 अध्ययन , 5 अदभूत, 6 असफलता , 7 अर्थ, 8 आस्था, 9 आत्मविश्वास, 10 आचरण, 11 आदत ,12 आत्मबल, 13 आत्मशक्ति, 14 आशावादी, 15 आनन्द, 16 आचार - विचार, 17 ईमानदारी, 18 ईरादा, 19 इच्छा , 20 उत्साह , 21 उद्देश्य, 22 उपयोग , 23 एकाग्रता, 25 अंकुश, 26 श्रद्धा ,27 श्रम, 28 कर्म, 29 कार्यशैली, 30 कर्मठता, 31 कर्त्तव्य, 32 करुणा, 33 कला, 34 कर्ज , 35 कुशलता, 36 कोशिश, 37 ख़ुशी, 38 गतिशील , 39 गजब , 40 गलती, 41 गृहस्थी, 42 चरित्र , 43 चिंता , 44 चिन्तन , 45 चेतना, 46 जज्बा, 47 जागरूक , 48 जिम्मेदारी, 49 जिद , 50 जिज्ञासा, 51 जुनून, 52 जोश , 53 जोखिम, 54 तडफ, 55 त्याग, 56 तपस्या , 57 दया, 58 दान, 59 दृढ़- संकल्प, 60 दूरदृष्टी, 61 देश-भक्ति, 62 देना, 63 ध्यान, 64 धैर्य, 65 धर्म , 66 नियम, 67 निडर, 68 नीयत, 69 नीति, 70 निष्ठा, 71 नैतिकता, 72 परिवार, 73 परिश्रम, 74 परीक्षा, 75 प्रकृति, 76 प्रारम्भ, 77 प्रार्थना, 78 प्रतिष्ठा, 80 पुण्य, 81 प्रीत, 82 पुरस्कार, 83 प्रसन्नता, 84 पूजा, 85 प्रेरणा, 86 प्रेम-प्यार, 87 फर्ज, 88 बाधा, 89 भय, 90 भाग्य, 91 भावना , 92 मर्यादा, 91 मेहनत, 92 योगी, 93 रीति, 94 व्यवहार, 95 विश्वास, 96 विपदा, 97 विवाह, 98 विवेक, 99 विचार, 100 लक्ष्य , 101 ललक, 102 शिक्षा, 103 शोध, 104 शांति, 105 सपने, 106 सहनशक्ति, 107 सत्य, 108 समता, 109 सब्र, 110 सम्यगदृष्टी, 111 समय, 112 समझ, 113 सहयोग, 114 सकारात्मक सोच , 115 साहस, 116 समस्या, 117 सम्मान, 118 सामर्थ्य ,119 सीखना, 120 सिद्धांत, 121 सृजनात्मकता, 122 सुकून, 123 सेवा, 124 संयम ,125 संतुष्टि, 126 संस्कार, 127 संतोष, 128 संसाधन, 129 संकल्प, 130 संघर्ष, 131 हार, 132 हिम्मत, 133 हौंसला, 134 हँसना, 135 ज्ञान, 136 क्षमता , क्रमशः,...........
Tuesday, April 11, 2017
जबरदस्त उत्साह ही जीत और सफलता का मूल है !
जबरदस्त उत्साह ही जीत और सफलता का मूल है ! उत्साह ही वह शक्ति है जो अदृश्य और चमत्कारिक रूप में हमेशा हमारे साथ रहती है ! अगर हम अपने कार्य को पूरे जोशो - जुनून और जज्बे के साथ करते हैं तो ,जीत -सफलता और ख़ुशी के स्तर में भी जबरदस्त उछल आता है ! निरुत्साहित होकर और बे -मन से किया गया काम न तो बड़ी सफलता दिलाता है , न जीत और न ही ख़ुशी ! उत्साहित लोग अपने काम को न पूरे मन से करते हैं बल्कि उसे अच्छी से अच्छी तरह करने की पूरी कोशिश करते हैं ! अपने काम को और बेहतर करने के लिए वे हर मुश्किल रास्ते से गुजरने का जज्बा रखते हैं ! जबरदस्त उत्साह जीत हासिल करने में जादू की तरह बहुत बड़ी भूमिका निभाता है ! स्टीव जाब्स की बेहतरीन जीत और सफलता के पीछे दो विशेष और मुख्य कारण थे - पहला - उनकी सकारात्मक सोच और दूसरा - उनका अतुलनीय उत्साह ! स्टीव जाब्स अपने जोशीले अंदाज के लिए हमेशा प्रसिद्ध रहे ! उनमें बिजली जैसा उत्साह कमाल का था !उनके व्याख्यान स्फूर्ति भरे शब्दों से लबालब होते थे -जैसे -गजब का ,अविश्वसनीय , अद्भुत ! उत्साह व्यक्ति के भीतर एक नवीन उर्जा , नई सोच और सृजनात्मकता को भरता है ! व्यक्ति में जबरदस्त उत्साह से - मुश्किलों को पार करने की ज्यादा शक्ति और जज्बा पैदा होता है , बेहतर परिणाम आते हैं , ज्यादा ख़ुशी होती है , आत्मबल में बढ़ोतरी होती है ,उत्साह में उतरोत्तर वृद्धि होती जाती है ,और मुशिकलों में इन्ट से इन्ट बजाने का संकल्प आता जाता है !
Saturday, April 8, 2017
भाग्य को बदल देता है कर्म
भाग्य - भाग्य क्या है ? क्या अपने भाग्य को बदल लेना सम्भव है ? प्रकृति के अनुरूप चलकर अपने भाग्य और जीवन को बदला या संवारा जा सकता है ! अपने भाग्य को बदलना पूरी तरह व्यक्ति के वश में है और स्म्भव है ! मनुष्य जीवन केवल भोग्योनि ही नहीं ,कर्म योनि भी है ! व्यक्ति मैं अपने नये कर्म द्वारा अपने भाग्य को बदल देने का असीम सामर्थ्य और शक्ति है ! पर विडम्बना है कि अधिकतर लोग अपने इस सामर्थ्य -शक्ति का पूरा उपयोग ही नहीं करते ! ऐसे लोग अपने भाग्य का खिलौना बनकर अपने ही नसीब को सदा कोसते रहते हैं ! कर्म तीन प्रकार के - हमारे शास्त्र -ग्रन्थों में बताया गया है कि कर्म तीन प्रकार के होते हैं, 1- क्रियामान , 2 -प्रारब्ध , 3- संचित कर्म ! अधिकतर लोग अपने आप को अपने कर्मों से बने भाग्य की कठपुतली समझते हैं ! जो विधाता ने लिख दिया ,वह उसे भोगने को बाध्य हैं ! यदि ऐसा होता तो हमारे इतिहास में पाणिनी जैसे महाविद्वानों का नाम न आया होता ! पाणिनी के हाथों में विधा की लकीर ही नहीं थी ! जब एक महान ज्योतिषी ने यह बताया तो उन्होंने दृढ़ -संकल्पित होकर अपने भाग्य को पलट दिखाया ! पाणिनी संस्कृत भाषा के प्रसिद्द व्याकरणचार्य हुए ! क्रमशः ............
Friday, April 7, 2017
श्री हनुमान जी से करें प्रार्थना कर्ज मुक्ति के लिए (भाग -2)
क्रमशः..... उपाय दो :- * श्री हनुमान मन्दिर में जाकर श्री हनुमान जी को लकड़ी की चरण -पादुका भेंट करें ! प्रतिदिन बेसन के लडडूओं का प्रसाद चढ़ाएं ! तथा बांयी ओर बैठ कर ऋण मोचन मंगल स्त्रोत का 11 पाठ करें ! 51 या 108 दिन तक बिना लांघा के करें ! कार्य समाप्ति के बाद एक बार और चरण पादुका चढ़ाएं ! कर्ज से मुक्ति मिलेगी और दुबारा कभी कर्ज नहीं होगा ! उपाय तीन:- * श्री हनुमान जी को प्रतिदिन प्रात:काल मन्दिर में जाकर बिल्वपत्र के 108 पत्तों की माला पहनाएं ! पहले दिन मन्दिर में ध्वजा भी चढ़ाएं ! हनुमान जी के बांयी ओर बैठकर ऋण मोचन मंगल स्त्रोत का 11 पाठ नित्य प्रति 51या 108 दिन तक करें ! उपाय चौथा :- * श्री हनुमान जी को नारियल के तेल का दीपक जलाएं और नारियल के पानी से स्नान कराएँ ! हनुमानजी के बांयी ओर बैठकर ऋण मोचन मंगल स्त्रोत का 11 पाठ नित्य 51 या 108 दिनों तक करें ! नित्य नारियल की गिरी में मिश्री मिलाकर प्रसाद चढ़ाएं ! क्रमशः .........
श्री हनुमान जी से करें प्रार्थना कर्ज मुक्ति के लिए
कर्ज बड़ा दुखदायी होता है ! कई बार कर्ज में व्यक्ति की पूरी जिन्दगी गुजर जाती है पर कर्ज उतरने का नाम ही नहीं लेता ! मेहनत के साथ - साथ कर्ज उतारने के कुछ अचूक उपाय भी हैं ! अपने घर पर श्री हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर को एक चौकी पर आसन बिछाकर विराजमान करें,और तब तक न हटायें जब तक आप कर्ज से मुक्त न हो जाएँ ! सर्व प्रथम ये करें :- प्रतिदिन स्नानं कर लाल वस्त्र धारण करें और सूत के आसन पर बैठें ! हनुमान जी को जल से स्नान कराएँ ,पुष्प -रोली ,चन्दन ,अक्षत ,मोली आदि से उनकी पूजा करें ! सूत की हल्दी से रंगी पीली माला पहनाएं और उनका एकाग्र होकर ध्यान करें, आव्हान करें की वे पधारें ! उन्हें प्रसाद चढ़ाएं ! किसी भी एक उपाय को करें ! उपाय एक :- * श्री हनुमान जी के नित्य सुबह- शाम भृंगराज के तेल का दीपक जलाएं ! उन्हें गुड़ व गुलकंद का प्रसाद चढ़ाएं ! * -श्री हनुमान जी के हनुमान चालीसा या संकट मोचन हनुमान अष्टक का नित्य प्रति पाठ करें ! ऋण मोचन मंगल स्त्रोत का पाठ करें , हनुमान जी की आरती करें और फिर श्री रामावतार का व श्रीराम की स्तुति करें ! * - इस प्रक्रिया को ग्यारह बार दोहराएँ और अंत में श्री हनुमान जी की आरती करें ! प्रतिदिन प्रात:काल नियत समय और नियत स्थान पर करें ! * - कम से कम 51 या 108 दिन तक लगातार बिना लांघा के अवश्य करें ! क्रमशः.............
व्यक्ति के जूतों पर भी निर्भर करती है कार्य सिद्धि एवं सफलता
दोस्तों ! हो सकता है आपको मेरी बात बड़ी ही आश्चर्यजनक लगे , पर है यह सौ प्रतिशत सच्ची बात ! किसी भी व्यक्ति के द्वारा किये गये कार्य की कार्यसिद्धि एवं सफलता बहुत कुछ उसके जूतों पर भी निर्भर करती है ! अच्छे और साफ - सुथरे - सुन्दर जूतों से व्यक्ति का व्यक्तित्व ही नहीं झलकता , बल्कि उसका आत्मविश्वास भी बढ़ जाता है ! जिस व्यक्ति का मन प्रसन्न और आत्मविश्वास बढ़ जाता है उस व्यक्ति की सफलता में कोई संशय नहीं रह जाता है ! वह जो भी कार्य करता है वह सिद्ध होता जाता है ! कार्य सिद्धि एवं सफलता के लिये व्यक्ति के जूतों में ये छ : बातें होना आवश्यक है ! 1- जूते कटे - फटे या एक ओर से घिसे हुये न हों ! 2 - जूतों पर किसी भी तरह के दाग - धब्बे न हों , तथा ठीक तरह से पॉलिश किये हुये हों ! 3 - जूतों के फीते टूटे हुए या खंडित न हों ! 4 - जुराब साफ -सुथरे और स्वच्छ हों , जुराब पुराने या फटे हुए न पहनें ! 5 - कहीं पर भी पुराने या रिपेयर किये हुए जूते पहन कर न जाएँ 6 - शुभ कार्य या कार्य सिद्धि के लिए जाने पर जुराब हल्के हरे , सलेठी, कत्थई, या सफेद रंग के ही पहनें, शुभ कार्य करते समय काले रंग के जुराब न पहनें ! जूतों का आकर - प्रकार कैसा हो ! - 1 - अगर आपका कद और चेहरा लम्बा है तो लम्बी और नुकीली नोक के जूते पहनें ! 2 - अगर आपका कद सामान्य और चेहरा गोल है तो आगे से गोल या अर्धचन्द्राकार आकर वाले जूते पहनें ! 3 - अगर आपका रंग बहुत गौरा है तो चमकीले - भडकीले रंग के जूते न पहनें ! केवल सामान्य चमक वाले जूते ही पहनें ! 4 - अगर आपका रंग गेहूंवा है तो चमकीले -चटकीले रंग के जूते पहनें ! 5 - अगर आपका रंग सांवला या श्याम वर्ण है तो काले रंग के जूते न पहनें! भूरे या नील रंग के जूते पहनें ! 6 - अगर आपका कद या लम्बाई छोटी है तो बहुत चौड़े आकार के जूते न पहनें !
Thursday, April 6, 2017
हरड
आयुर्वेद में हरड को हरीतकी , यानि मनुष्य की माता के समान हित करने वाली बताया गया है ! इसे अमृतोपम औषधि मानते हुए पथ्या,अभय आदि नाम से भी पुकारा जाता है ! हरड की मूल उत्पति -स्थली गंगा तट है ! यहीं से यह सारे विश्व में फैली है ! यह 50 फीट ऊँचा वृक्ष होता है जो सारे भारत वर्ष में पूर्व से पश्चिम तक 5000 फीट की ऊंचाई तक पाया जाता है ! इसकी छाल भूरे रंग की , फूल छोटे पीताभ सफेद मंजरी में तथा फल 1 से 2 इंच लम्बे अंडाकार होते हैं ! इसके कच्चे फल हरे व पकने पर पीले धूमिल हो जाते हैं ! फल शीतकाल में लगते हैं जिन्हें जनवरी से अप्रैल महीने के मध्य संग्रह करते हैं ! बड़ी व छोटी हरड में से छोटी हरड को अधिक निरापद व सौम्य प्रभाव डालने वाली माना जाता है ! हरड के फल में टैनिन रूप में सक्रिय संघटक चेबुलेजिक एसिड , चेबुलिनिक एसिड व गेलिक एसिड पाया जाता है ! एन्थ्राक्विनिन जाति के गलाईकोसाइड रेचक क्रिया में प्रमुख भूमिका निभाते हैं ! हरड त्रिदोष जन्य विकारों में प्रयुक्त होती है ! इसे लवण के साथ कफज , शक्कर के साथ पित्तज एवं धृत के साथ वातज विकारों में देते हैं ! हरड का टैनिन अम्ल आँतों की श्लेष्मा झिल्लियों पर ऐसा अनुकूल प्रभाव डालता है ताकि उसके मल भाग की रक्षा हो सके ! आंतो को संकुचित कर यह रस स्त्राव को कम करता है ! ग्राही प्रभाव के साथ -साथ इसका प्रमुख गुण रेचक है ! यह पुरानी कब्ज की जीर्ण आँतों को बिना कोई नुकसान पहुंचाए तुरंत लाभ दिखाता है ! इसका जीवाणुनाशी प्रभाव बाह्यरोगाणुओं को नष्ट करने व दुर्गन्ध मिटने के रूप में होता है ! हरड मूलतः वात- शामक होने के कारण नाड़ियों को बलवान बनाती है ! तथा अंतर्कोशीय शोथ मिटाती है ! यह कृमि रोगों , बवासीर , संग्रहणी आदि रोगों में लाभ पहुंचा कर सात्मिकरण की स्थिति लाती है ! यह पित्त को कम करती है ! आमाशय को व्यवस्थित तथा फुले बवासीर के मस्सों की सूजन कम करती है ! इससे पीलिया ,अग्निमन्द्ता , यकृत्प्लिहा वृद्धि में भी बड़ा फायदा होता है ! हरड का फल ही काम में आता है ! छाया में सुखाये फलों के चूर्ण को एक से तीन साल तक प्रयुक्त किया जा सकता है ! बवासीर एवं खूनी पेचिश में हरड के चूर्ण को दही या मठ्ठे के साथ लेते हैं ! मस्सों की सूजन कम करने के लिए हरड क्वाथ का एनिमा भी लिया जाता है ! गेस्ट्राइटीस में मुंह में रखकर चबाकर ,कब्ज में चूर्ण के रूप में तथा त्रिदोष विकारों में भूनकर लेते हैं !
पेड़ -पौधे भी हैं सुख -सौभाग्य और समृद्धिकारक
* भारत के घर -घर में तुलसी का पौधा भारतीय और हिंदुत्व की पहचान है ! भारतीयों के लिए तुलसी मोक्षदायनी कवच है ! तुलसी घर की लक्ष्मी है ! तुलसी के पौधे से कुलदेवता प्रसन्न रहते हैं ! तुलसी में तीनों देवता - ब्रह्मा , विष्णु , महेश तथा तीनों देवियाँ - महालक्ष्मी , महाकाली और महासरस्वती का वास होता है ! * - तुलसी का पौधा कब लगायें - वैसे तो तुलसी का पौधा कभी भी घर में लगा सकते हैं , इसकी कृपा घर के सभी लोगों पर सदा बनी रहती है ! लेकिन विशेष लाभ लेने एवं अपार धन -संपदा पाने के लिए तुलसी का पौधा देठउठनी एकादशी को घर की छत पर ईशान कोण ( पूर्व -उत्तर ) में शुभ घड़ी के चौघड़िये में मिट्ठी के गमले में लगायें ! तुलसी के पौधे को प्रतिदिन प्रात: काल स्वच्छ जल से सींचें और सुबह-शाम घी का दीपक जलाएं ! * राशियों के अनुसार घर में पौधे लगायें ! ये शीघ्र एवं विशेष फल देते हैं ! 1 मेष - मनीप्लांट , रातरानी या अशोक ! 2 वृष - तुलसी , दूब , अमरुद ! 3 मिथुन - केल , तुलसी , चंपा ! 4 कर्क - चांदनी , अशोक , गुलाब ! 5 सिंह - रातरानी , तुलसी , मोलश्री , कस्तैला ! 6 कन्या - मनीप्लांट , तुलसी ,अमरबेल (मधुमालती ) ! 7 तुला -तुलसी ,चांदनी ,अमरुद , गुलाब , दूब ! 8 वृशिचक - अमरबेल , केल , अशोक ,मीठी नीम ! 9 धनु - तुलसी ,नागचंपा ,केल ! 10 मकर -तुलसी ,गेंदा , मरवा ,मोगरा ! 11 कुम्भ - रातरानी ,तुलसी ,दूब,नीम गिलोय की बेल! 12 मीन -तुलसी ,अशोक , केल,अमरुद ,मीठी नीम !
Wednesday, April 5, 2017
भाई और पानी को मिलते देर नहीं लगती
किसी गाँव में दो भाई रहते थे ! दोनों भाइयों में बड़ा अच्छा प्रेम था ! दोनों मिलकर खेती -बाडी करते थे !खेती - बाडी से जो भी कमाई होती थी उसे वे आधी - आधी बाँट लेते थे ! जिन्दगी बड़ी अच्छी तरह से गुजर रही थी ! एक बार किसी बात को लेकर दोनों में झगडा हो गया ! दोनों में आपसी खींचातान बढ़ गई ! दोनों के मन में स्वार्थ पैदा हो गया ! बड़े भाई ने आधे खेत पर अपना कब्जा कर लिया और खेत के बीचों - बीच एक खाई भी खुदवा दी , ताकि छोटा भाई उसके खेत में न आ सके ! खेत के बीच खाई देखकर छोटे भाई को बहुत गुस्सा आया ! और उसने भी बदला लेने के लिए कारीगर को बुलाकर खेत के अपने हिस्से के किनारे -किनारे ऊँची -ऊँची बाड बनाने को कहा ताकि वह अपने भाई का चेहरा भी नहीं देख सके ! कारीगर को पैसे देकर कहा कि तुरंत काम शुरू कर दो ! कारीगर ने कहा कि अगले दिन तक काम पूरा हो जायेगा ! अगली सुबह जब छोटा भाई अपने खेत पर गया तो हैरान रह गया ! वहां कोई बाड नहीं थी बल्कि उसकी जगह खाई पर लकड़ी का एक पुल बना हुआ था ! यह देखकर छोटा भाई आग बबूला हो गया ! वह कारीगर को बुलाकर डांटने वाला ही था कि तभी बड़ा भाई वहां आ गया और बोला कि मैंने तुम्हारे साथ बुरा किया फिर भी तुमने मुझसे भाई का रिश्ता नहीं तोडा ,और खाई पर पुल बनवा दिया ? मेरे भाई मुझसे स्वार्थ वश गलती हो गई ! मैं इसके लिए तुझसे माफ़ी मांगता हूँ ! मुझे माफ़ कर दे ! अब हम यह खाई पाट देंगे और पहले की तरह ही फिर से मिलकर खेती करेंगे और मिलकर प्रेम -प्यार से रहेंगे ! छोटे भाई ने भी हाथ जोड़ कर कहा भाई मैं भी स्वार्थ और इर्ष्या में पागल हो गया था ! मुझे भी माफ़ कर दो ! दोनों भाई आपस में गले मिले और फिर से प्रेम से रहते हुए मिलकर खेती करने लग गये ! सच है - थोड़ी सी समझदारी से रिश्तों की कडवाहट को पूरी तरह से मिटाया जा सकता है ! यह भी सच है की भाई और पानी को मिलते देर नहीं लगती !
घर परिवार में खुशियों के लिए ये करें
यह संसार पञ्च तत्वों से मिलकर बना है ! पृथ्वी , आकाश , जल , वायु और अग्नि ! ये सारे 9 ग्रह , 12 राशियाँ , और नक्षत्र , प्राणी एवं घर सभी इनके आधार पर ही संचालित होते हैं ! अत : मनुष्य प्रतिदिन कुछ साधारण कार्य करके भी घर - परिवार में खुशियाँ ला सकता है ! * - घर में तुलसी का पौधा लगायें ! प्रतिदिन इसमें सुबह-शाम एक घी का दीपक जलाएं ! इससे घर का वास्तु दोष संतुलित रहता है ! तथा बुध , चन्द्र व आंशिक शुक्र ग्रह शांत रहते हैं ! घर की छत पर ईशान कोण में तुलसी का पौधा रखें और नित्य प्रति जल चढ़ाएं ! इससे मंगल व आंशिक सूर्य ग्रह भी शांत व प्रसन्न रहते हैं ! * - हमेशा मिटटी के जलपात्र (मटकी , घडा ,सुराही आदि ) का ही जल पीयें ! इससे शनि , राहु और केतु ग्रह शांत होते हैं ! * - परिवार में शयन कक्ष को हमेशा स्वच्छ व सुगन्धित रखें ! लकड़ी के बने पलंग पर ही शयन करें , तथा पलंग के पायों के नीचे तांबे की प्लेट रखें ! इससे बुध , शुक्र व आंशिक केतु ग्रह शांत व प्रसन्न रहते हैं तथा घर -परिवार से रोग -दोष दूर होते हैं ! * - घर की छत पर अग्नि कोण में लाल , पीली ,नीली ,सफेद व हरी पचरंगी पताका फहरायें ! इससे सूर्य व गुरु ग्रह ही नहीं बल्कि सभी नवग्रह शांत व प्रसन्न होते हैं ! तथा समस्त पीडाकारक रोग -दोषों का निवारण होता है ! * - यदि आपकी रसोई अग्नि कोण में नहीं हैं तो रसोई के ईशान कोण में सिंदूरी रंग के गणपति स्थापित करें ! ऐसा करने से घर में सदा धन -धान्य की बहार बनी रहेगी और दुर्घटनाओं का खतरा नहीं रहेगा ! * - पितृ दोष निवारण के लिए बुजुर्गों की प्रसन्नता के लिए और घर में शांति , नौकरी - कारोबार आदि में उन्नति के लिए प्रतिदिन प्रात:कालऔर सांयकाल घर के पराणडे के पास घी का दीपक जलाएं !
Saturday, April 1, 2017
मन की सुनने और करने से होती है जीवन की समस्यायें हल
* - यदि तुम्हारा हृदय पवित्र है तो तुम्हारा आचरण भी सुंदर होगा ! यदि आचरण सुंदर है तो तुम्हारे घर में शांति रहेगी !यदि घर में शांति है तो राष्ट्र में सुव्यवस्था रहेगी ! और यदि राष्ट्र में सुव्यवस्था है तो समस्त विश्व में शांति और सुख रहेगा ! - कन्फ्यूशियस अक्सर लोग अपनी गलतियाँ छिपाने के लिए तरह-तरह के बनाते रहते हैं ! दरअसल हमें अपनी कमजोरियों की पहचान करनी आनी चाहिए , उनसे बचने के बहाने नहीं ! बिना कोशिश हम गलतियों को कभी भी दूर नहीं कर सकते ! अगर हम अपने हर काम का आंकलन -मुल्यांकन पहले से करें तो यह तय है कि कोई भी गलत कदम उठेगा ही नहीं ! अक्सर लोग अपनी गलतियों , अपनी असफलताओं या प्रतिकूल परिस्थितियों में दूसरों को दोष देकर , भाग्य के माथे सब कुछ मढ़कर बच निकलने का आसन रास्ता खोजने की कोशिश करते हैं ! पर हकीकत इसके विपरीत है की असफलताओं , और गलतियों से मिली सीख ही व्यक्ति की सबसे अच्छी दोस्त होती है ! अगर जीवन में असफलता न हों तो सफलता के अर्थ और महत्व ही खत्म हो जायेंगे !अक्सर यह भी बताया जाता है किअपने मन की बात दोस्तों से , अपने परिजनों से जरुर करें , उन्हें बताएं तो मन को बहुत शांति मिलेगी ! अपनों से बातचीत करने से कोई न कोई रास्ता जरुर निकलता है ! लेकिन अपनी समस्याओं का हल स्वयं को ही खोजना पड़ता है ! अपनी समस्याओं का हल दूसरा और कोई नहीं बताता ! हाँ ! दूसरे लोग सलाह दे सकते हैं , किसी अच्छे रास्ते की और इंगित कर सकते हैं ! मगर चलना स्वयं को ही पड़ता है ! कई बार गुस्से में हम किसी को ऐसी बात कह जाते हैं जो नहीं कहनी चाहिए थी ! बाद में हमें उस बात का पछतावा भी होता है ! कोई अच्छा सम्बन्ध एक क्षण में ही खत्म हो जाता है ! एक अच्छा सम्बन्ध जिसे बनाने में हमें पूरा जीवन लग जाता है , वह पल भर में ही खत्म हो जाता है ! अगर गुस्सा करने से पहले थोडा शांति से विचार कर लिया होता तो गुस्सा आता ही नहीं ! दोस्तों ! अगर आप अपने मन की सुनेंगे , खुद से बात करेंगे , तो अपने को भी पहचानेंगे और दूसरों को भी ! हमारा मन ही तो है ,जो हमें दुनिया को पहचानने का परखने का धैर्य देता है ! इसीलिए जरूरी है कि सुनें सबकी और करें अपने मन की !
विवेक और बुद्धि से सोचो और कर्म करो
एक पुरानी बात है ! एक बार महात्मा बुद्ध एक गाँव में अपने एक भक्त के घर गये ! वह भक्त एक किसान था ! महात्मा बुद्ध को देखकर वह किसान बहुत प्रसन्न हुआ और उनके प्रवचन का आयोजन करने इच्छा जाहिर की ! महात्मा बुद्ध ने भी ख़ुशी- ख़ुशी प्रवचन करने की स्वीकृति दे दी ! शाम को महात्मा जी के प्रवचन सुनने गाँव के सभी लोग उस किसान के घर आये ! महात्मा बुद्ध का प्रवचन हो रहा था पर वहां वह किसान कहीं पर नजर नहीं आ रहा था ! गाँव के लोगों में कानाफूसी होने लगी कि कैसा भक्त है ! महात्मा जी के प्रवचन का आयोजन करके स्वयं नदारद हो गया ? प्रवचन खत्म होने पर सभी लोग अपने अपने घर चले गये ! आधी रात को किसान जब अपने घर लौटा तो महात्मा बुद्ध ने पूछा कि - " भक्त तुम कहाँ चले गये थे ? गाँव के सभी लोग तुम्हारे लिए पूछ रहे थे !" किसान ने कहा , " महात्मा जी दरअसल प्रवचन की सारी व्यवस्था हो गई थी , पर तभी अचानक मेरा बैल बीमार हो गया ! जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब होने लगी , तो तुरंत मुझे उसे लेकर पशु चिकित्सक के पास जाना पड़ गया ! अगर मैं उसे चिकित्सक के पास नहीं ले जाता तो उसका बचना मुश्किल था ! आपका प्रवचन तो मैं बाद में भी सुन लूँगा !" दुसरे दिन सुबह कई लोग महात्मा जी के पास आये और उस किसान की शिकायत करते हुए कहने लगे कि , " महात्मा जी यह व्यक्ति तो आपका भक्त होने का झुन्ठा दिखावा करता है ! प्रवचन का आयोजन करके स्वयं ही गायब हो जाता है !" महात्मा बुद्ध ने उन लोगों को सारी घटना कह सुनाई और फिर उनको समझाया कि , "मेरे भक्त ने प्रवचन सुनने की जगह कर्म को महत्व दिया है ! उसने यह सिद्ध कर दिया है कि उसने मेरी शिक्षा को बिल्कुल ठीक ढंग से समझ लिया है ! अब उसे मेरे प्रवचन सुनने की आवश्यकता नहीं रह गई है ! मैं आप लोगों को यही तो समझता हूँ कि अपने विवेक और बुद्धि से सोचो और अपना कर्म करो कि कौन सा काम पहले जरूरी है ! अगर मेरा यह भक्त अपने बीमार बैल को छोडकर मेरा प्रवचन सुनने लग जाता तो हो सकता है इसका बैल मर जाता ! अगर इसका बैल मर जाता तो मेरा प्रवचन देना ही व्यर्थ हो जाता ! मेरे प्रवचनों का सार यही तो है कि सब कुछ त्यागकर भी जीव मात्र की रक्षा करो ! महात्मा बुद्ध के प्रवचन सुनकर सभी गाँव वालों ने भी प्रवचनों का असली भाव समझ लिया !
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