वास्तु दोष :- भवन में वास्तु दोष होने पर कई तरह के शुभ -अशुभ फल मिलते हैं ! कुछ सरल उपाय करके इन वास्तु दोषों को कम या खत्म किया जा सकता है ! 1- भवन में लगे हुए दरवाजों के स्वत : ही खुलने या बंद होने ,शयन कक्ष के साथ संयुक्त बाथरूम या टायलेट होने अथवा पलंग के ठीक ऊपर छत की बीम होने से मानसिक रोग अथवा हृदय रोग होने की संभावना रहती है ! 2- भवन के दक्षिण अथवा दक्षिण -पशिचम में कुआ होने अथवा एक ही दीवार से मिले हुए दो भवन होने से भी आयु क्षीण हो सकती है ! 3- रसोई घर में दक्षिण की ओर मुख करके भोजन पकाने ,उत्तर या पश्चिम दिशा में सिर करके सोने ,दिन में पूर्व की ओर तथा रात्रि में पश्चिम की ओर मुख करके मल -मूत्र का त्याग करना भी कई रोगों का कारण बनता है !इससे अनिद्रा ,थकान,सिरदर्द ,तनाव ,पेट ,त्वचा एवं अस्थि रोग होने की आशंका रहती है ! 4- भवन के मुख्य द्वार के ठीक सामने कोई मार्ग ,खंभा ,बावड़ी ,वृक्ष ,कुआ, पत्थर , श्मशान घाट , कुम्हार का चाक, शिला ,आदि हो तो भवन स्वामी को मिर्गी ,सन्निपात ,अतिसार ,पथरी अथवा बवासीर रोग होने की आशंका रहती है ! भवन में सुख -शांति ,आरोग्य और सभी तरह के शुभ -लाभ के लिए वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना सर्वश्रेष्ट माना जाता है ! सही और समय पर उपाय करके वास्तु दोषों को काफी हद तक दूर किया जा सकता है !
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