Sunday, October 22, 2017

धन दौलत भी अपनी कीमत वसूलती है

                                                                                                                                   
                                                          धन -दौलत का संग्रह करना एक अंधी दौड़ है ! धन -दौलत कमाना कोई बुरा नहीं है पर फिर भी दुनियां में ऐसी कोई धन- दौलत नहीं बनीं कि वह कोई गुजरा वक्त खरीद कर ला सके ! भगवान ने हर किसी को इतना सक्षम तो  बनाया ही है कि वह अपना आने वाला समय अपने मन मुताबिक संवार ही सके !                                                                                                                         धन -दौलत की चाहत बुरी नहीं है पर ,बुरा है उस चाहत को पूरा करने के तरीकों में ! धन -दौलत की लालसा में डूबे लोग अपने संबंधों की गरिमा खो रहे हैं ! अच्छे -अच्छे  कामयाब और अमीर लोग भी इन चार चीजों का नुकसान उठा रहे हैं ! व्यक्ति की लापरवाही और असावधानी से अथाह धन -दौलत भी लोगों से इन चार बातों के रूप में कीमत वसूल रहा है ! 1-संबंध ,2-समय ,3-स्वास्थ्य  और 4-गृहस्थी इन चार के रूप में कीमत चुकाकर भी लोग दौलतमन्द और अमीर कहला रहे हैं !                                                                                                                                                              1- संबंध :- धन दौलत की लालसा और लालच के भंवर में फंसे लोग अपने संबंधों की मर्यादा और मधुरता खो रहे हैं ! सारे संबंध और रिश्ते -नाते या तो सौदा हो गये हैं या फिर बोझ होने लगे हैं ! व्यक्ति लेने देने और मोल भाव पर ही टिककर रह गया है ! धन दौलत के लालच ने व्यक्ति के जीवन में रूखापन भर दिया है ! सारे रिश्ते  -नातों की ऊष्मा ही खत्म हो गयी है !  जीवन बेरस और नीरस बनता जा रहा है !                                                                                                      2-समय :- व्यक्ति का जीवन निशिचत कालखंड में बंटा हुआ है ! बहुत जल्दी और अधिक धन कमाने की होड़ में वो समय भी गंवा दिया जाता है जिसमें जीवन का एक विशेष स्वाद लेने का अवसर होता है ! माना कि धन से बहुत कुछ खरीदा जाता है ,पर बीता हुआ समय नहीं लौटाया जा सकता ! समय कभी खरीदा नहीं जा सकता !                                                                                                          3- स्वास्थ्य :- धन परिश्रम और भोग दोनों से जुड़ा होता है ! अति इन दोनों की बुरी है ! देह की भी एक सीमा है साथ देने की ! देह की थकान को बीमारी में बदलने में जरा भी समय नहीं लगता ! अधिकतर अमीर लोगों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा तो बीमारी के इलाज में ही खर्च हो रहा है ! सच है कि धन -दौलत से दवा खरीदी जा सकती है ,पर स्वास्थ्य नहीं !                                                                                                4-गृहस्थी :- धन दौलत कमाने के चक्कर में व्यक्ति अपने परिवार को समय नहीं दे पाता है ! इस कारण कई परिवार और सन्तान में अनबन पैदा हो जाती है !  यह सच है कि व्यक्ति अपने परिवार के लिए ही धन दौलत कमाता है पर जब परिवार ही नहीं बचता तो वो दौलत भी किस काम की !                                                                                                                                                                           क्या है धन की देवी लक्ष्मी ?:- लक्ष्मी का अवतरण समुद्र मंथन से माना जाता है ! 14 रत्न समुद्र मंथन से निकले थे !आठवें क्रम पर लक्ष्मीजी का प्रादुर्भाव हुआ था ! एक रोचक तथ्य यह है कि सातवें क्रम पर अप्सराएँ निकली थी और नवें क्रम पर वारुणी यानी मदिरा ! इन दोनों के मध्य लक्ष्मी का क्रम था !अप्सराएँ और मदिरा अहंकार -भोगविलास का प्रतीक है ! धन के बड़े खतरे हैं !इसी समुद्र मंथन के क्रम में सबसे पहले विष और अंत में अमृत निकला था ! विष यानी विपरीत परिस्थिति ,संघर्ष ,चुनौती ! धन अर्जन परिश्रम -संघर्ष से शुरू हो और अमृत पर समाप्त हो ! धन सुख के साथ शांति दे यही अमृत है ! 

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